देवबंद। झांसी से आए शायर इकबाल हसन के सम्मान में मोहल्ला ठानपुरा में मुशायरे का आयोजन किया गया। इसमें शायरों ने कलाम सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही लूटी।
मंगलवार रात आयोजित हुए कार्यक्रम का आगाज नईम अख्तर की नाते पाक से हुआ।
साहित्यकार डा. शमीम देवबंदी ने अपने अंदाज में कुछ यूं कहा हम गम से मात कभी भी न माने, गम भी है खुद्दार अभी तक जिंदा है.. शमीम किरतपुरी का अंदाजे बयां कुछ यूं था मुसाफिर एक ठिकाना चाहता है, तुम्हारे घर में आना चाहता है। नफीस देवबंदी के इस शेर मेरा घर उजड़ा तो है लेकिन खुशी यह है मुङो, कम से कम बेघर परिंदों का ठिकाना तो हो गया ने खूब दाद बटोरी।
नईम अख्तर ने कहा पहले नमाजे इश्क अदा की वफा के साथ, फिर खुदा से तुझको मांगा है हर एक दुआ के साथ, सादिक देवबंदी ने पढ़ा जो पत्थरों के मुहाफिज हैं अपना काम करें, हमार फर्ज है शीशे संभाल कर रखना। वली वक्कास ने कहा इश्क की हद यह नहीं है तो भला फिर क्या है, अपने लोगों में तेरे नाम से मंसूब हूं मैं, तनवीर अजमल के इस शेर फिर घड़ी का चलना भी नागवार होता है, जब किसी का शिद्दत से इंतजार होता है.. ने खूब तालियां बटोरी। इस अवसर पर चांद अंसारी, हाजी सईद, याकूब अंसारी, रईस कुरैशी, शमीम सैफी, जरीफ खां, लियाकत खां आदि मौजूद रहे।